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30 November 2013

एकल अभिनय अथवा एक-पात्रीय नाटक (Mono Drama)


श्री.परवेज़ अख्तर से लिखित यह टिप्पणी  केरल के हिंदी अध्यापक मित्रों से साझा (share) करना चाहता हूँ । यह टिप्पणी ' रंगायन ' से केवल शैक्षिक आवश्यकताओं के लिए ली है। कॉपीराइट की कोई मामला है तो इसे जलदी ही हटा देंगे।
-----------  हिंदी ब्लोग
 श्री. परवेज़ अख्तर
रंगमंच अभिनेता का माध्यम है, किन्तु दुर्भाग्यवश रंगमंच में अभिनेता की अलग पहचान नहीं बन पायी | इस पहचान के बिना रंगमंचकी पहचान भी संभव नहीं है | ‘एकल अभिनय’ पूरी तरह अभिनेता का रंगमंच है | यह एक अभिनेता को उसके द्वारा अर्जित अनुभव, कार्यदक्षता और कल्पनाशीलता के प्रदर्शन का स्वतंत्र अवसर उपलब्ध करता है और उसे उसकी जादुई शक्ति के साथ रंगमंच पर प्रतिष्ठापित भी करता है | एकल नाट्य (या एकल अभिनय) किसी भी स्तर पर सामूहिकता का निषेध नहीं करता, बल्कि यह सामुदायिक जीवन का अंग है, क्योंकि यह व्यापक दर्शक समुदाय को सम्बोधित होता है |